भविष्य मालिका कथा - नाशिक
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🙏 जय श्री माधव 🙏
सनातन संस्कृति के अनुसार तीन संध्या काल पर ब्रह्मांड की उत्पत्ति तथा स्थिति को नियंत्रित करने के लिए भगवान महाविष्णु की स्तुति तथा उनको धन्यवाद किया जाता है।
प्रातः-ब्रह्म मुहूर्त, मध्यान- तथा सूर्यास्त (गोधूलि) समय को संध्या काल कहा जाता है।
प्रातः संध्या जब रात्रि अतिक्रांत होती है और सूर्योदय होता है वह एक संध्या काल है।
मध्यान संध्या जब दिन चढ़ता है वह एक संध्या काल है।
सायं संध्या जब सूर्य अस्त होता है दिन ढलता है, तथा रात्रि का आगमन होता है, वह एक संध्या काल है।
इन तीन समय पर देवता, ऋषि, मुनि, यक्ष, गंधर्व, ब्रह्मलोक, कैलाश लोक, पितृलोक, सूर्य लोक, चंद्रलोक आदि सब जगह पर भगवान महाविष्णु की स्तुति की जाती है।
कलियुग के घोर प्रभाव के कारण सनातन संस्कृति का विलोप होता चला गया तथा मनुष्य के दैनिक कर्म और त्रिसंध्या धारा का लोप हो गया।
पुनः महापुरुष अच्युतानंद दास जी ने भविष्य मालिका में कली कलमष से उद्धार तथा सत्ययुग में जाने के लिए त्रिसंध्या धारा को बहुत महत्वपूर्ण तथा सभी मानव के कल्याण लिए जरूरी बताया गया है।
1 - बात मानना सीखिए
2 - प्रतीक्षा करना सीखिए
3 - प्रेम करना सीखिए
4 - इन्दिर्यों से उपवास करना सीखिए
1 - मंत्रोच्चारण
2 - श्री विष्णो: षोडशनामस्तोत्रम्
3 - श्री दशावतारस्तोत्रम्
4 - दुर्गा माधव स्तुती
5 - माधव नाम
6 - कल्कि महामंत्र
7 - जयघोष
प्रातः - 3:35 AM से 6:30 AM
दोपहर - 11:30 AM से 12:30 PM
सायं - 5:30 PM से 6:30 PM
नोट: सम्पूर्ण त्रिसंध्या याद करने के पश्चात् Contact पेज पर दिए गए नम्बरों पर अवश्य संपर्क करें । इसके बाद आपको दैनिक सत्संग ग्रुप से जोड़ दिया जाएगा। अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें।
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जय श्री माधव
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