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त्रिसंध्या क्या है?

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9 Nov 2024
सामान्यतः हमारे मन में यह प्रश्न आता है की त्रिसंध्या क्या है? या त्रिकाल संध्या किसे कहते हैं और कैसे की जाती है? त्रिसंध्या की सम्पूर्ण विधि आदि क्या है? मंत्र क्या हैं? आदि आदि प्रश्न। इस आर्टिकल में त्रिसंध्या के बारे में विस्तृत वर्णन किया गया है। परम् पूज्यनीय पंडित श्री काशीनाथ मिश्र जी द्वारा त्रिसंध्या के बारे में काफी समय से बताया जा रहा है। त्रिसंध्या का अर्थ है - तीन समय की जाने वाली भगवान विष्णु की स्तुति को त्रिसंध्या कहा जाता है। त्रिसंध्या के प्रसंग के बारे में हमे अनेक ग्रंथो और संतो से पता चलता है । युगों युगों से देवताओं और प्रत्येक वर्ण के द्वारा त्रिसंध्या की जाती आ रही है। लेकिन कलियुग में कलि के प्रभाव से त्रिसंध्या का लोप हो चुका है और उसी त्रिसंध्या का प्रचार आज परम पूज्य पंडित श्री काशीनाथ मिश्र जी द्वारा किया जा रहा है।


पंडित जी त्रिसंध्या की महिमा बताते हुए कहते है की - जो मानव त्रिकाल संध्या करेगा वो ही भगवान कल्कि के दर्शन प्राप्त कर सकेंगे जिससे स्पष्ट होता है की त्रिसंध्या ही एक ऐसा सरल उपाय है जिससे हम भगवान के दर्शन प्राप्त कर सकते है। आज बहुत से भक्त ऐसे भी है जो त्रिसंध्या कर भगवान का अनुभव प्राप्त कर चुके है । त्रिसंध्या में मुख्य हमे भगवान की स्तुति बताई गई है । जिसमे से एक स्तुति का नाम है श्री दशावतार स्त्रोत । जो कवि शिरोमणि जयदेव जी द्वारा रचित है जिन्होंने गीत गोविंद जैसे मोक्ष दायक गीतों की रचना की है। वही गरुड़ पुराण मे हमे वर्णन मिलता है की जो भगवान के दस नामो का पाठ नित्य करता है वो सीधा विष्णु धाम को प्राप्त करता है । इससे स्पष्ट होता है की त्रिसंध्या मे दिए गए एक - एक स्तोत्र की इतनी महिमा है। इसलिए त्रिसंध्या करना नित्य आवश्यक है।  

त्रिसंध्या केमंत गुरु कहिबा बुझाई किया करूथान्ति प्राणिमान 

 एहा धाइ न कलेण किस होए कले किस फल एथर सन्देश शुण द्वादश गोपाल 

 जिसन्धार सुमरण करन्ति ये जन सप्तपुरुष उद्धारन्ति भजि पुण कृष्ण

- गुरुभक्ति गीता (अच्युतानंद दास)

अर्थात् - द्वादश गोपालो को संबोधित करके उनके कल्याण हेतु भगवान गोविन्द कह रहे है की जो पुरुष त्रिसंध्या के माध्यम से प्रातः, मध्याह्न और शाम संध्या समय प्रभु का मंत्र-जाप और भजन करते है वो अपनी सात पीढ़ियों को तार देते है और उन्हें कलियुग के अंत में भगवान कल्कि के दर्शन होंगे।


त्रिसंध्या करने से कई लाभ हो सकते हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख लाभ हैं:   

  1. मानसिक शांति और एकाग्रता: त्रिसंध्या करने से मन को शांति और एकाग्रता मिलती है, जिससे व्यक्ति अपने कार्यों में अधिक केंद्रित हो सकता है
  2. आत्मशुद्धि और आत्मविश्वास: त्रिसंध्या करने से व्यक्ति को आत्मशुद्धि और आत्मविश्वास मिलता है, जिससे वह अपने जीवन में अधिक सकारात्मक और आशावादी हो सकता है।
  3.  स्वास्थ्य लाभ: त्रिसंध्या करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है, जैसे कि रक्तचाप कम होना, तनाव कम होना, और नींद की गुणवत्ता में सुधार। 
  4. आध्यात्मिक विकास: त्रिसंध्या करने से व्यक्ति को आध्यात्मिक विकास और आत्मज्ञान मिलता है, जिससे वह अपने जीवन के उद्देश्य और अर्थ को समझ सकता है। 
  5. सामाजिक और पारिवारिक संबंधों में सुधार: त्रिसंध्या करने से व्यक्ति के सामाजिक और पारिवारिक संबंधों में सुधार हो सकता है, जैसे कि परिवार के साथ अधिक समय बिताना, और सामाजिक गतिविधियों में भाग लेना।


विधि: 

  1. शुद्ध और आरामदायक स्थान पर बैठें। 
  2. आंखें बंद करें और गहरी सांस लें। 
  3. त्रिसंध्या मंत्रों का जाप करें (जैसे कि "गायत्री मंत्र" या "महामृत्युंजय मंत्र")। 
  4. अपने मन और आत्मा को शांत और एकाग्र करें। 
  5. लगभग 10-15 मिनट तक इस अवस्था में रहें।


त्रिसंध्या करने के और भी कई लाभ हो सकते हैं: 

  • तनाव और चिंता कम करने में मदद मिलती है।
  • आत्मविश्वास और आत्मसम्मान में वृद्धि होती है। 
  • मानसिक स्पष्टता और केंद्र में सुधार होता है। 
  • शारीरिक और मानसिक थकान कम होती है। 
  • नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है। 
  • पाचन तंत्र में सुधार होता है। 
  • रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। 
  • आत्मज्ञान और आध्यात्मिक विकास में मदद मिलती है। 
  • संबंधों में सुधार होता है। 
  • जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं।


त्रिसंध्या करने के लिए कुछ सुझाव: 

  • नियमित रूप से त्रिसंध्या करें। 
  • शुद्ध और आरामदायक स्थान पर बैठें। 
  • आंखें बंद करें और गहरी सांस लें।
  • त्रिसंध्या मंत्रों का जाप करें। 
  • अपने मन और आत्मा को शांत और एकाग्र करें। 
  • लगभग 10-15 मिनट तक इस अवस्था में रहें। 
  •  त्रिसंध्या के बाद थोड़ा समय ध्यान और आत्म-चिंतन के लिए दें। 
  •  त्रिसंध्या को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाएं।


याद रखें, त्रिसंध्या करने से आपको शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ हो सकते हैं।


भगवान कल्कि राम श्री श्री श्री सत्य अनंत माधव महाप्रभु जी को प्राप्त करने के लिए प्रभु के दिए हुए चार पवित्र वाणियों का पालन करें :-

  1.  बात मानना सीखिए 
  2.  प्रतीक्षा करना सीखिए 
  3.  प्रेम करना सीखिए 
  4.  इन्दिर्यों से उपवास करना सीखिए 


त्रिसंध्या पाठ सूची 

  1. मंत्रोच्चारण 
  2. श्री विष्णो: षोडशनामस्तोत्रम्
  3. श्री दशावतारस्तोत्रम् 
  4. दुर्गा माधव स्तुती  
  5. माधव नाम 
  6. कल्कि महामंत्र 
  7. जयघोष


त्रिसंध्या समय   

  •   प्रातः - 3:45 AM से 6:30 AM   
  •   दोपहर -11:30 AM से 01:00 PM    
  •   सायं - 5:00 PM से 6:30 PM

नोट: सम्पूर्ण त्रिसंध्या याद करने के पश्चात् दिए गए नम्बरों पर अवश्य संपर्क करें। इसके बाद आपको दैनिक सत्संग ग्रुप से जोड़ दिया जाएगा। 

अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें

 ☎  +91 91425 52324 

 ☎  +91 94387 23047 

 ☎  +91 88951 55245 

 ☎  +91 93200 00020


त्रिसंध्या के बारे में अधिक जानने के लिए विजिट करे 


 जय श्री माधव

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