भविष्य मालिका ग्रंथ में बताया गया है कि भगवान श्री विष्णु के दसवे (tenth) अवतार, कल्कि अवतार कब होगा। भविष्य मालिका के अनुसार जब शास्त्रों के नियमों का कोई पालन नहीं करेगा, मनुष्य कृत पापों के कारण धरती पर बार-बार भूकम्प होने लगेंगे, समुद्र का जल स्तर बढ जाएगा, रोग आदि बहुत सी बीमारियाँ मानवता को ग्रास करने लगेंगी, तब भगवान विष्णु अपना वैकुण्ठ धाम छोड़ कर मानव शरीर में जन्म लेंगे और साधारण मानव की भाँति लीला करेंगे ।
क्या कल्कि अवतार हो चुका है?
शास्त्रों के अनुसार भगवान कल्कि कलियुग के अंत में अवतरित होंगे। तो क्या इसका अर्थ यह है कि कलियुग का अंत हो चुका है?
कई वैदिक शास्त्रों के अनुसार कलियुग की कुल संभावित आयु 4,32,000 वर्ष मानी गई है। किन्तु ‘भविष्य मालिका’, ‘मनुस्मृति’, ‘निर्णयसिन्धु’ और ‘गर्ग संहिता’ जैसे अन्य शास्त्रीय ग्रंथों के अनुसार कलियुग की वास्तविक आयु 5,000 वर्षों की ही होगी। वर्तमान में कलियुग को 5,130 वर्ष पूरे हो चुके हैं। अतः यह कहा जा सकता है कि कलियुग का अंत हो चुका है और भगवान कल्कि का अवतार हो चुका है। विज्ञान भी अब इस बात को मानने लगा है और नासा इसका सबसे बड़ा प्रमाण है।
कलीयुग का अंत समय से पहले कैसे हुआ?
अगर उदाहरण से समझा जाए तो, आमतौर पर हर इंसान की उम्र 100 साल मानी जाती है, लेकिन अगर वह पाप कर्मों में लग जाए, तो उसकी उम्र कम हो जाती है। किसी हादसे या बीमारी से उसकी मृत्यु समय से पहले भी हो सकती है, या कोई और कारण भी हो सकता है मृत्यु का।
ठीक वैसे ही, कलियुग की पूर्ण आयु 4,32,000 साल थी, लेकिन पापों के कारण 4,27,000 साल कट गए। अब बचे हुए 5,000 वर्षों का भी अंत हो चुका है और परिवर्तन का समय चल रहा है।
कल्कि अवतार के जन्म का भविष्य मालिका में प्रमाण
महापुरुष अच्युतानंद दास जी ने अपने मालिका ग्रंथ में भगवान श्रीकृष्ण और भक्त शिरोमणि गरुड़जी के संवाद का वर्णन किया है। इस वार्ता में श्रीकृष्ण कहते हैं कि कलियुग का भोग 4,32,000 वर्षों का नहीं होगा। मनुष्यों द्वारा किए गए पापकर्मों के कारण इसकी अवधि केवल 5,000 वर्षों में ही समाप्त हो जाएगी।
इसके बाद, मैं अपने जगन्नाथ रूप (जो ओडिशा के जगन्नाथ पुरी में विद्यमान है) को छोड़कर, जाजपुर में भगवान विष्णु का यशगान करने वाले एक पवित्र ब्राह्मण भक्त के घर मानव रूप में जन्म लूँगा।
"कलंकी र सीमा काल पुरि ,
गले कल्कि विष्णुजसा पुरे ।
सम्बल ग्रामरे जात होईथिबे,
म्लेच्छ संहार कालरे ।" - अच्युतानंद दास ( तेरह जन्म शरण)
अर्थात महापुरुष अच्युतानंद दास जी अपने ग्रंथ तेरह जन्म शरण में स्पष्ट करते हैं कि कलियुग की अल्प अवधि समाप्त होने के बाद महाप्रभु संभलग्राम(ओडिशा) में विष्णुयश गान करने वाले एक ब्राह्मण के घर जन्म लेंगे। यह समय म्लेच्छों के विनाश का होगा।
(मालिका के अनुसार, मांसाहारी, जुआरी, शराबी या नशीले पदार्थों का सेवन करने वाले व्यक्ति को म्लेच्छ कहा गया है।)
कल्कि अवतार से जुड़े अन्य श्लोक
महाभारत में एक श्लोक आता है -
“कल्कि विष्णु यशा नाम द्विज काल प्रचोदिता।
उत्पत्सितो महावीय्यर्यो महाबुद्धि पराक्रम।” - महाभारत
अर्थात ब्राह्मण कुल तथा विष्णु का यशगान करने वाले ब्राह्मण के घर में जन्म लेंगे, और उनका मुख्य उद्देश्य कलियुग में फैल रहे अधर्म का अंत कर धर्म की पुनः स्थापना करना होगा। यह श्लोक उनकी अद्वितीय शक्ति, धैर्य और बुद्धिमत्ता को दर्शाता है। वे प्रत्येक अधर्मी का अंत कर धर्म का पुनरुत्थान करेंगे।
महापुरुष अच्युतानंद जी अपने श्लोक में कहते है कि-
“आम्भे इच्छा कले सप्त दीप मही निमिषे भान्गीबु पुन।
लोमा के सप्तहा ब्रह्माण्ड बहिचु एणु विराट पुरूष ।” - अच्युतानंद दास
अर्थात भगवान श्री कल्कि जी की इच्छा मात्र से सातों द्वीप एक ही पल में नष्ट हो सकते हैं। उनकी अपार शक्ति उनके दिव्य स्वरूप की महानता दर्शाती है। भगवान कल्कि के रोम-रोम में असंख्य ब्रह्मांड समाए हैं और वे एक ही समय में संहार और सृजन की शक्ति रखते हैं।
कल्कि अवतार के भविष्य मालिका में उल्लेखित संकेत
भविष्य मालिका के अनुसार, प्रभु के अवतार के समय अनेक संकेत प्रकट होंगे, जिन्हें देखकर यह स्पष्ट होगा कि कल्कि अवतार हो चुका है।
पहला संकेत
महापुरुष अच्युतानंद दास जी ने लिखा है कि कलियुग के अंतिम कालखंड में समुद्र से एक तूफान उठेगा, जो जगन्नाथ मंदिर परिसर में आदि काल से स्थित विशाल कल्पवट की शाखा तोड़ देगा। इस तूफान के प्रभाव से मंदिर के ऊपर स्थित अष्टधातु से बना नील चक्र भी वक्र हो जाएगा।
मई 2019 में आए चक्रवात ‘फानी’ ने महापुरुष अच्युतानंद दास जी की 600 साल पूर्व लिखी वाणी को सत्य सिद्ध कर दिया। इस दौरान कल्पवट की शाखा टूटी और आधिकारिक रूप से यह भी घोषित किया गया कि नील चक्र वक्र हो गया।
दूसरा संकेत
शिशु अनंत दास, जो चैतन्य महाप्रभु के नित्य पंचसखा थे, चुंबक मालिका में वर्णन करते है कि नारद महामुनि के सामने भगवान श्रीकृष्ण बताते हैं कि जब चंद्रमा पर तारा प्रकट होगा, तब कल्कि अवतार होगा। वर्ष 2005 में पहली बार तीन महीने तक यह खगोलीय घटना देखी गई, जिससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि कल्कि अवतार हो चुका है।
“इंदु परे बिंदु देखिबू जेबे,
प्रलय संकेत होईब तेबे।
म्लेच्छ निवारण अंकुश धारी,
जवन मातिबे कुंज बिहारी।”
-चुंबक मालिका
मालिका के अनुसार, जब चंद्रमा (इंदु) के नीचे बिंदु (तारा) दिखाई देगा, तो यह खंड प्रलय का संकेत होगा। म्लेच्छों के निवारण के लिए भगवान कल्कि की लीला प्रारंभ हो जाएगी और यह घटना 2023 में घटित हो चुकी है।
तीसरा संकेत
‘मालिका’ में महापुरुष अच्युतानंद दास जी ने 600 साल पहले भगवान श्री कल्कि के जन्म का एक और संकेत दिया था। उन्होंने लिखा कि कलियुग के अंत में जब ओडिशा स्थित जाजपुर के ‘बिरजा’ मंदिर में माँ ‘बिरजा’ के नाम से प्रतिष्ठित माता योगमाया की प्रतिमा अपना स्थान छोड़ेगी, तब समस्त देवी-देवता कल्कि के धरावतरण और धर्म संस्थापना की सूचना का सिंहनाद करेंगे। यह घटना सन् 2004 में घटित हो चुकी है। महापुरुष ने बताया कि इसके बाद माता के गर्भ से मानव-शिशु रूप में कल्कि अवतार का जन्म होगा।
कृष्ण और अर्जुन के संवाद से संकेत
महापुरुष अच्युतानंद जी ने आज से लगभग 600 साल पहले अपने मालिका ग्रंथ हरि अर्जुन चउतिशा में द्वापर युग के अंतर्गत भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के वार्तालाप को उद्धृत किया है, जिसमें प्रभु जी कहते हैं कि कलियुग के अंत में जब मैं नीलाचल (जगन्नाथ पुरी) छोड़ूंगा, तब कुछ संकेत प्रकट होंगे:
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मेरे मंदिर के रत्नचंदुआ में आग लग जाएगी।
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भंडार घर से रात्रि में चोरी होगी।
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मंदिर से पत्थर गिरने लगेंगे।
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अरुण स्तंभ के ऊपर गिद्ध बैठेंगे।
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तूफान से मंदिर का नील चक्र वक्र हो जाएगा।
प्रभु कहते हैं— "यह मेरा सत्य वचन है। उसी समय मैं नीलाचल छोड़कर कल्कि अवतार लूँगा।"
निष्कर्ष
इन सभी संकेतों के आधार पर यह कहा जा सकता है कि भगवान कल्कि का जन्म इस धराधाम पर हो चुका है, जिसमें संदेह का कोई स्थान नहीं है। भगवान कल्कि सभी म्लेच्छों और पापियों का अंत करके सत्य सनातन धर्म की पुनर्स्थापना करेंगे।
भविष्य मालिका के अनुसार भगवान कल्कि की कृपा और उनकी अनुभूति प्राप्त करने के लिए त्रिसंध्या, माधव नाम का जप और श्रीमद्भागवत महापुराण का नित्य पठन आवश्यक है। यही अनंतयुग (सतयुग) में प्रवेश का एकमात्र मार्ग भी है।