वर्तामान में होने वाले भू-राजनैतिक बदलावों ने भविष्य मालिका में उल्लिखित भविष्यवाणियों को सत्य साबित किया है। भारत के ओडिशा राज्य से पंचसखाओं में से एक महान संत अच्युतानंद दास जी ने करीब ६०० वर्ष पूर्व पूरी दुनिया को परिवर्तन करने वाले वैश्विक स्तर पे होने वाले बदलाव के बारे में कुछ भविष्यवाणियाँ रेखांकित की थी।
संत अच्युतानंद दास ने २०२५ के बाद घातक सौर तूफानों(solar storms) की भविष्यवाणी की है, जिससे वैश्विक तापमान में भारी वृद्धि, बिजली की आपूर्ति में बाधा(power cuts), तथा इलेक्ट्रॉनिक यंत्र और प्रौद्योगिकी बाधित होंगे ।
भविष्य मालिका में पृथ्वी पर सूर्य के प्रभाव का उल्लेख
“तेबे दया भाबतिलेनोहिब। दया दिनुदीनुगुपथेब।
चंद्रकिरण मलिंदिशिब. सूर्य किरण तेज प्रकाशिब।
जौतिषेययोग न जानिबे। मेघकुचाहिनपंजीखिबे.
योगयोगबनाहेबेसेकेले। अकाल बरशाहेबामालाइमा” - तत्त्वबोधिनी (महापुरुष अच्युतानंद दास) - पृष्ठ 47
अर्थात, मनुष्य धीरे-धीरे दया और करुणा हीन हो जायेंगे। चांद की किरणें मलीन हो जाएंगी और धूप की किरणें अधिक उग्र एवं उज्जवल होंगी। ज्योतिषी तारों और ग्रहों के संयोजनों को समझने में असफल रहेंगे और भविष्यवाणियों(predictions) के लिए बादलों पर निर्भर रहेंगे। उस समय, गुरु अपनी साधना से विमुख हो जाएंगे। अनियमित और असमय वर्षा बार-बार होगी।
क्या होते हैं सौर तूफान और उनका धरती के प्रति प्रभाव?
सौर तूफान तीव्र चुंबकीय असंतुलन के कारण सूर्य से ऊर्जा और कणों का विस्फोट है। यदि यह पृथ्वी से टकराता है, तो यह पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्रों में असंतुलन पैदा कर सकता है, जिसे जियोमैग्नेट आंधी(geomagnatic storms) के रूप में भी जाना जाता है।
इसके निम्नलिखित प्रभाव हो सकते हैं:
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उपाग्रह विघटन के कारण होने वाली जीपीएस, संचार और मोबाइल नेटवर्क में बाधा।
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इंटरनेट और रेडियो में रुकावट(internet blackout)।
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बिजली के प्रसारण और वितरण में खराबी आने से दुनिया के प्रमुख शहरों में अंधकार छा जाना(blackout)।
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विमान कू-प्रबंधन से उड़ानें और विमान-संचालन में होने वाले जोखिम।
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बैंकिंग प्रणाली का पतन होने से डिजिटल लेनदेन और एटीएम में विफलता।
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विकिरण के संपर्क में आने से कैंसर जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
सौर तूफानों पर भविष्य मालिका के श्लोक

जब सौर तूफान जैसे शब्दों के बारे में कोई नहीं जानता था तब भविष्य मालिका के अलग-अलग श्लोकों द्वारा भविष्यवाणियों में सौर तुफ़ानों(solar storms) पे उल्लेख किया गया है, जो आजसे ६०० वर्ष पहले की गई हैं । निम्नलिखित भविष्यवाणियाँ सच होंगी
जानें कि सौर तूफान पृथ्वी को कैसे प्रभावित कर सकते हैं
आधुनिक वैज्ञानिक प्रौद्योगिकी विफल हो जायेगी
"चल अचल होइबाशुन्नधा नंदन, मंत्र, यंत्र, तंत्र मन न रहिब ज्ञान।
बैजनानिक यंत्र से काले चली न पारिव, नंद सुत बसीपुनि खेडा लगाइब।'’’ - मालिका ग्रन्थ - चन्द्रकल्प
उपरोक्त श्लोक में कहा गया है कि एक समय ऐसा आएगा जब सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण अचल हो जाएंगे (काम करना बंद कर देंगे)। आध्यात्मिक और तकनीकी विज्ञान का ज्ञान लुप्त हो जाएगा, सब लोग आंतरिक प्रकाश और बाहरी दुनिया से अलग हो जायेंगे। उस समय भगवान कल्कि दुनिया को बदलने का खेल वैश्विक स्तर पर खेल रहे होंगे।
“बैजानिक यन्त्र मन अचल होइब,
हरिंकर चक्र खाली घुरुन्जेथिब” - मालिका ग्रंथ - महागुप्तपद्मकल्प
उपरोक्त श्लोक में कहा गया है कि वैज्ञानिक उपकरण काम नहीं करेंगे; केवल श्री हरि का चक्र (पापियों के अंत का हथियार) घूमता रहेगा। इसका मतलब है कि जो लोग धर्म के विरुद्ध जाते हैं, उन्हें पृथ्वी छोड़नी होगी।
यह कब होगा?
“बारा देउलारे पाणि पशिनजेजिब, नीलाचक्र पारे पनि देउंजपेरिब।
कताइकेते भक्त मने होइबेटी मेल, बैजनानिक यंत्र सबुहोइब अचल” - महापुरुष अच्युतानंद दास
उपरोक्त श्लोक में कहा गया है कि एक समय आएगा जब समुद्र का पानी जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश करेगा, और लहरें नील चक्र (मंदिर के शीर्ष पर अष्टधातु से बना दिव्य चक्र) के स्तर से ऊपर उठ जाएंगी। तब बहुत सारे भक्त एकत्र हो जाएंगे और सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण काम करना बंद कर देंगे।
“बैजानिक यंत्र चालिबनाहिं
राजनीति क्षेत्र हेबा अस्थिर भाई
धन संस्थापन पाप नासं
खेड़ा चेताबनिभविष्यन्
२३ अंक रु ए सबुघतिब
२९ अंक्येन शेष ये देखुब!" - महापुरुष अच्युतानंद दास
उपरोक्त पंक्तियों में स्पष्ट रूप से भविष्यवाणी की गई है कि वैज्ञानिक उपकरणों की निष्क्रियता, राजनीतिक अशांति(political instability), धन और संपत्तियों का विनाश तथा दुष्टों का सफाया होगा। यह भविष्य होगा और इसे एक चेतावनी के रूप में लिया जाना चाहिए। ये सभी घटनाएँ २३ अंक से शुरू होंगी और २९ अंक पर समाप्त होंगी।
भविष्य मालिका की भविष्यवाणियाँ और भविष्य।
भविष्य मालिका की भविष्यवाणियाँ इतनी सटीक होती हैं कि आग का बढ़ना, बवंडर, बाढ़, भारी बर्फबारी, हिमस्खलन, भूकंप, राजनीतिक अशांति, दुनिया भर में इंटरनेट सेवाओं में व्यवधान वर्तमान समय में छोटे पैमाने पर देखा जा सकता है, जो निकट भविष्य में बढ़ेगा।
आने वाले वैश्विक सर्वनाश के कारण दुनिया भर में प्रणालियों में व्यापक विफलता आएगी, जिससे तकनीकी निलंबन और बिजली कटौती (blackout) की स्थिति पैदा होगी। इसका प्रभाव विमान, नौवहन, वित्तीय प्रणालियाँ, लेन-देन आदि पर पड़ेगा।
पिछली घटनाएँ
बीते कुछ वर्षों में, कोरोनाल मास इजेक्शन (CMEs) ने दुनिया के विभिन्न भागों में ऑरोरा उत्पन्न कर दिए हैं, जिससे अंतरिक्ष स्टेशनों और उपग्रहों को संघर्ष करना पड़ रहा है। वैज्ञानिकों ने इन परिवर्तनों का बारीकी से अध्ययन और विश्लेषण किया है तथा विश्व भर में अनेक चेतावनियाँ जारी की हैं और संभावित खतरों के लिए सौर चक्रों पर भी बारीकी से नजर रख रहे हैं।
भविष्य मालिका द्वारा चेतावनी
भविष्य मालिका ने इन आगामी विनाशकारी घटनाओं की भविष्यवाणी की थी और अब आधुनिक विज्ञान उनकी पुष्टि करता है।
“सेतिपाई माने अनेक लोके क्षय हुवै,
सूरज प्रखर रश्मि धरती रे पड़ै,
अन्शुघात रे प्राणि मरुथान्ति जे पड़ै।” - महापुरुष अच्युतानंद दास
उपरोक्त पंक्तियों का सार यह है कि अनेक लोग अपने भौतिक शरीर त्याग देंगे। सूर्य की प्रचंड किरणें पृथ्वी पर पड़ेंगी और बिजली गिरने से कई लोगों की जान चली जाएगी।
सूर्य २०२५(2025) में अपने ११ वर्षीय सौर चक्र (solar cycle) पर पहुंच जाएगा, और वैज्ञानिकों ने कई सौर तूफानों की भविष्यवाणी की है जो पृथ्वी पर जीवन को बाधित कर सकते हैं।
हमारे पास कितना समय बचेगा?
नासा के उपग्रह डेटा के अनुसार, यदि सौर तूफान पृथ्वी से सीधे टकराता है, जैसा कि पूर्वानुमान है, तो हमारे पास बहुत कम समय (लगभग ३० मिनट) है। यह डेटा इतना भयावह है कि इससे विभिन्न बुनियादी ढांचे पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। इसका मतलब यह है कि वैश्विक सरकारों, अंतरिक्ष एजेंसियों और बिजली कंपनियों को नुकसान को कम करने के लिए पहले से तैयारी करनी होगी।
क्या हमारे पास कोई समाधान है?
यदि मानवजाति आसन्न आपदाओं से खुद को बचाना चाहती है तो ऐसा करने का एकमात्र तरीका स्वयं को बदलना है। प्राप्त किए जाने वाले प्राथमिक सिद्धांत हैं मांसाहार का त्याग, नशा छोड़ना, अवैध संबंधों में शामिल न होना, सत्य के मार्ग का अनुसरण करना और ईश्वर के प्रति समर्पण ।
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त्रिकाल संध्या
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माधव नाम जप
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नित्य श्रीमद्भागवत महापुराण पठन
आने वाली परिस्थितियों के लिए यही एकमात्र समाधान है। अंतिम सत्य यह है कि मनुष्य द्वारा की गई कोई भी तैयारी विफल होगी, और केवल धर्म के मार्ग पर चलने वाले ही चुनौतीपूर्ण दौर को पार कर सकते हैं और आने वाले स्वर्ण युग में प्रवेश कर सकते हैं।