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Bhavishya Malika

भविष्य मालिका क्या है? - Part 2

664
14 Sep 2024

सनातन पद्धति के अनुसार : 


जिस प्रकार किसी भी गृहनिर्माण से पूर्व उसका मानचित्र तैयार किया जाता है,किसी नगर के नियोजन से पूर्व उसकी ब्लूप्रिंट तैयार की जाती है। उसी तरह ब्रह्मांड के रचियता उसकी रचना से पूर्व उसकी कहानी को अनेक ग्रंथों में अलग अलग माध्यम से लिख देते हैं। 


इसी प्रकार अलग-अलग समय पर अनेकों ऋषियों, मुनियों और महापुरुषों द्वारा ब्रह्मांड के रचियता के निर्देश से अलग-अलग धर्म-ग्रंथों की रचना की गयी। जैसे कल्प के प्रारंभ से ही सप्तऋषियों ने ज्ञान-विज्ञान, पंचांग (कैलेंडर) धर्म-ज्योतिष और योग संबंधी ज्ञान को समय-समय पर संसार में जन-जन तक पहुँचाने के लिए अनेकों ग्रंथों की रचना की | जैसे त्रेतायुग में महर्षि वाल्मीकि जी के द्वारा उस समय की महत्वता को समझते हुए मानव समाज के कल्याण और सही मार्ग दर्शन के लिए रामायण ग्रंथ की रचना की। इसी प्रकार द्वापरयुग में भगवान के चौबीस अवतार में अन्यतम महर्षि वेदव्यास जी द्वारा अष्टादश पुराण, श्रीमद् भागवत महापुराण और महाभारत जैसे अनेक ग्रंथों की रचना की। 


इसी क्रम में (कलियुग) वर्तमान समय की स्थिति को जानने के लिए ब्रह्मांड के रचियता (भगवान श्री जगन्नाथ महाप्रभु जी) के निर्देश पर भगवान कृष्ण के गोलोक बैकुंठ के नित्य पंच सखा, महापुरुष अच्युतानन्द दास, महापुरुष बलराम दास, महापुरुष जगन्नाथ दास, महापुरुष यशोवन्त दास, महापुरुष शिशु अनंत दास ने जिन अंतिम धर्म ग्रंथों की रचना की गयी उसका नाम “भविष्य-मालिका पुराण” है। 


जिस तरह पंचांग में लिखे हुए अमावस्या हो या पूर्णिमा कभी गलत नहीं होते उसी तरह महाप्रभु के निर्देश से जो भी ग्रंथों की रचना होती है वह मानव समाज के कल्याण के लिए होती हैं| 


यह भविष्य वक्ता के लगाये हुए अनुमान की तरह नहीं होता है।


ये सभी ग्रंथ प्रभु जी की इच्छा से लिखे जाते हैं जो कि पत्थर की लकीर होते हैं और इनको बदलने की शक्ति ब्रह्मांड में प्रभु जी के सिवा किसी भी देश या विज्ञान के पास नहीं होती है।


पंच सखाओं ने स्वयं भगवान जगन्नाथ जी के निर्देश पर कलियुग के अंत और सत्ययुग की शुरुआत के विषय में लाखों ग्रंथों के समूह की रचना की और इन्हें भगवान जगन्नाथ जी के निर्देश पर अति गुप्त रखा गया ताकि लोगों को समय से पहले इसका ज्ञान होने पर संसार में अव्यवस्थता ना फैल जाए। इस अति गुप्त ग्रंथ में कलियुग के अंत और भगवान कल्कि के प्राकट्य के विषय में रहस्यमय जानकारी दी गई है तथा सत्ययुग की शुरुआत कैसे होगी इस विषय में भी विस्तृत रूप से वर्णन किया गया है

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